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प्रश्न अनुवाद - राजपुरुषः इस पद में समास है।
समास विग्रह - राज्ञः पुरुषः
सामासिक पद - राजपुरुषः
समास - तत्पुरुष समास (षष्ठी विभक्ति)
स्पष्टीकरण -
लघुसिद्धान्तकौमुदी के ‘उत्तरपदप्रधान तत्पुरुषः' इस सूत्र के अनुसार जिस समास में उत्तरपद प्रधान होता है वह तत्पुरुष समास है। तत्पुरुष समास में दोनो पदो का संबंध विभक्ति से दिखाया जाता है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।
राजपुरुष इस सामासिक पद में षष्ठी इस सूत्र से राज्ञः पुरुषः यह समास विग्रह होता है।
उदाहरण
- सूर्यस्य उदयः - सूर्योदयः।
- देवानां भाषा - देवभाषा।
- राज्ञः पुत्रः - राजपुत्रः।
अतः यह स्पष्ट होता है कि, राजपुरुष यह तत्पुरुष समास या षष्ठी तत्पुरुष समास है।
Additional Information
‘समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-
- पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
- यूपाय दारु = यूपदारु
- माता च पिता च = पितरौ
समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-
(1) केवलसमास:- ‘विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:- पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः
(2) अव्ययीभाव:- ‘प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावो’ अर्थात् जहाँ पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो। जैसे:- मतिम् अनतिक्रम्य = यथामति
(3) तत्पुरुष:- ‘उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः’ अर्थात् जहाँ उत्तरपद प्रधान हो दोनों पद में अलग-अलग और कभी-कभी समान विभक्ति होती है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।
तत्पुरुष समास के भेद:- इसके दो भेद होते हैं-
A) व्याधिकरण तत्पुरुष:- इसके सात प्रकार होते हैं-
द्वितीया तत्पुरुष:- श्रित, अतीत, आगतादि शब्द यदि उत्तरपद हो तो द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-
- कृष्णं श्रितः = कृष्णश्रित
- दुःखम् अतीत = दुःखातीत
- सुखाद् अपेतः = सुखापेतः।
तृतीया तत्पुरुष:- हीन, विद्ध आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो तृतीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-
- सर्पेण दष्टः = सर्पदष्टः
- शरेण विद्धः = शरविद्धः
- विद्यया हीनः = विद्याहीनः।
चतुर्थी तत्पुरुष:- बलि, अर्थ, तदर्थ आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-
- भूताय बलिः = भूतबलिः
- स्नानाय इदम् = स्नानार्थम्
- तस्मै इदम् = तदर्थम्।
पञ्चमी तत्पुरुष:- भय, मुक्त, पतित आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-
- चौरद् भयम् = चौरभयम्
- रोगात् मुक्तः = रोगमुक्तः
- स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः
षष्ठी तत्पुरुष:- जब समस्त पद में दोनों पद एक दुसरे से सम्बन्धित हो तो षष्ठी तत्पुरुष होता है। जैसे-
- राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
- गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम्
सप्तमी तत्पुरुष:- शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-
- सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
- कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः
नञ् तत्पुरुष:- जहाँ पूर्वपद अ, अन् अथवा न हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-
- न ज्ञानम् = अज्ञानम्
- न आदि = अनादि
- न आस्तिक = अनास्तिक
B) समानाधिकरण तत्पुरुष:- इसके दो भेद होते हैं-
कर्मधारय:- विशेषण-विशेष्य तथा उपमानोपमेय पदों का परस्पर समास हो तो कर्मधारय समास होता है। जैसे:-
- नीलम् उत्पलम् = नीलोत्पलम्
- चन्द्र इव मुखम् = चन्द्रमुखम्
द्विगु:- जब विशेषण संख्यावाची हो तो द्विगु समास होता है। जैसे:-
- त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्
- सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्
(4) द्वन्द्व:- ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद प्रधान हो। इसके विग्रह में च जुडता है।
- माता च पिता च = पितरौ
- हरिः च हरः च = हरिहरौ
इसके तीन प्रकार हैं-
- इतरेतर द्वन्द्व
- एकशेष द्वन्द्व
- समाहार द्वन्द्व
(5) बहुव्रीहि:- ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ अन्य पद प्रधान हो। जैसे:-
- पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः (हरिः)
- लम्बः उदरः यस्य सः = लम्बोदरः (गणेशः)