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Sanskrit Domain Test - 3
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Sanskrit Domain Test - 3
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  • Question 1/10
    5 / -1

    'विद्यालयः' पदे सन्धिः अस्ति।
    Solutions

    शब्द - 'विद्यालयः'

    संधिविच्छेद - विद्या+ आलयः

    सूत्र - 'अकः सवर्णे दीर्घः' सूत्र के अनुसार दो सवर्ण ह्रस्व दीर्घ स्वरों के संयोग से दीर्घ स्वर प्राप्त होता है।

    नियम - 

    • अ + अ = आ, 
    • इ + इ = ई 
    • उ + उ = ऊ 
    • ऋ + ऋ = ॠ

    उदाहरण - 

    • विद्या + आलय = विद्यालयः
    • लक्ष्मी + ईश्वर = लक्ष्मीश्वर
    • सु + उक्ति = सूक्ति
    • भानु + उदयः = भानूदयः

    स्पष्टीकरण - विद्या + आलय मे ‘विद्या’ पद के ‘आ’ के पश्चाद् सवर्ण स्वर ‘आ’ आया है अतः उसके स्थान पर ‘आ होकर 'विद्यालयः' पद बनता है।

  • Question 2/10
    5 / -1

    सन्धेः प्रकारणि सन्ति-
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - सन्धि के प्रकार हैं-

    सन्धि-

    दो वर्णों के संयोग से होने वाले परिवर्तन को सन्धि कहते हैं। जैसे-

    • विद्या + आलय = विद्यालय।
    • रमा + ईश = रमेश
    • न + एकः = नैकः
    • सम्यक् + ज्ञानम् = सम्यग्ज्ञानम्

    सन्धि के प्रकार- सन्धि के तीन प्रकार होते हैं -

    सन्धि

     परिभाषा

    उदाहरण

    स्वरसन्धि

    स्वर वर्ण  का संयोग स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है।

    विद्या + आलय = विद्यालय

    महा + औषधि =  महौषधि

    व्यंजनसन्धि

    व्यंजन वर्ण का संयोग व्यंजन या स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है।

    उत् + लास = उल्लास

    तत् + लय = तल्लयः

    विसर्गसन्धि

    विसर्ग का संयोग स्वर या व्यंजन वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है।

    दुः + आत्मा = दुरात्मा

    मनः + रथः = मनोरथः

     
  • Question 3/10
    5 / -1

    'विपत्कालः' अत्र संधिच्छेदः वर्तते-
    Solutions

    शब्द - विपत्कालः

    संधिच्छेद - विपद् + कालः

    सूत्र - खरि च।

    सन्धि प्रकार - चर्त्व

    स्पष्टीकरण - जब 'झल्' प्रत्याहार से बाद 'खर्' आये तो झल् के स्थान पर 'चर्' होता है।

    जैसे - 

    • विपद् + कालः = विपत्कालः
    • सद् + कारः = सत्कारः
    • दिग् + पालः = दिक्पालः
    • भेद् + तुम् = भेत्तुम्

    'विपत्कालः' पद मे 'विपद्' के ''द्'(झल् प्रत्याहार वर्ण) के बाद 'क्' (खर् प्रत्याहार वर्ण) आनेसे 'खरि च' सूत्र से 'द्' के स्थान पर 'त्' होता है।

    • विपद् + कालः → विपत् + कालः → विपत्कालः

    अतः 'सत्कारः' मे चर्त्व संधि होता है यह स्पष्ट है।

    Hint 

    • झल् - झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प य श ष स ह
    • खर् - ख फ छ ठ थ च ट त क प य श ष स
    • चर् - च ट त क प य श ष स
  • Question 4/10
    5 / -1

    'ममैव' पदस्य विग्रह वर्तते'-
    Solutions

    स्पष्टीकरण -

    • शब्द - ममैव 
    • सन्धिविच्छेद - मम + एव

     

    सूत्र - वृद्धिरेचि।

    • नियम - जब प्रथम पद के अन्त में या हो और उत्तर पद का प्रथम वर्ण ए, ऐ या ओ, औ हो, तो वहाँ दोनों के स्थान पर क्रमशः और आदेश होता है। 
      • अ, आ + ए, ऐ =
      • अ, आ + ओ, औ =

    उदाहरण-

    • तथा + एव - तथैव (यहाँ प्रथम पद के अन्त में + बाद में आया है, जहाँ दोनों के स्थान पर आदेश हो गया।)

    • यहीं नियम ममैव शब्द में लगा है। (जहाँ प्रथम पद के अन्त में + बाद में है, जहाँ दोनों के स्थान पर आदेश हुआ)
     

    अतः यहाँ वृद्धि सन्धि सही उत्तर है।

  • Question 5/10
    5 / -1

    'इति + आदिः' इत्यत्र सन्धिः वर्तते-
    Solutions

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'इति + आदि' में सन्धि है -

    शब्द - इत्यादि 

    सन्धिविच्छेद - इति + आदि

    सन्धि - यण्‌ सन्धि

    सूत्र - 'इको यणचि' इस सूत्र से ‘इक्’ अर्थात ‘इ/ई’, ‘उ/ऊ’, ‘ऋ/ऋ’ और ‘लृ’ के आगे अगर कोइ भी स्वर (विजातीय) आता है, तब वहाँ यण् अर्थात् य्, व्, र्, ल् होते हैं।

    नियम –

    1. इ/ई + स्वर = य् + स्वर
    2. उ/ऊ + स्वर = व् + स्वर
    3. ऋ/ॠ + स्वर = र् + स्वर
    4. लृ + स्वर = ल् + स्वर

    स्पष्टीकरण - ‘इति + आदिः में प्रथम पद के अन्त मे ‘इ’ और दूसरे पद के शुरुआत में ‘आ’ होने से यहाँ 'यण् सन्धि' होगी।

    अतः स्पष्टीकरण के अनुसार ‘इति + आदिः का सन्धि होकर 'इत्यादिः' होता है और यहाँ 'यण् सन्धि' होता है।

    Additional Information

    सन्धि:- दो वर्णों के संयोग से होने वाले परिवर्तन को सन्धि कहते हैं। जैसे-

    • विद्या + आलय = विद्यालय।
    • रमा + ईश = रमेश
    • न + एकः = नैकः
    • सम्यक् + ज्ञानम् = सम्यग्ज्ञानम्

    सन्धि के प्रकार:-

    सन्धि

     परिभाषा

    उदाहरण

    स्वरसन्धि

    स्वर वर्ण  का संयोग स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है।

    विद्या + आलय = विद्यालय

    महा + औषधि =  महौषधि

    व्यंजनसन्धि

    व्यंजन वर्ण का संयोग व्यंजन या स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है।

    उत् + लास = उल्लास

    तत् + लय = तल्लयः

    विसर्गसन्धि

    विसर्ग का संयोग स्वर या व्यंजन वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है।

    दुः + आत्मा = दुरात्मा

    मनः + रथः = मनोरथः

  • Question 6/10
    5 / -1

    'उप + इन्द्रः = उपेन्द्रः' इत्यत्र का विधिः?
    Solutions

    स्पष्टीकरण - उपेन्द्रः पद का संधि-विच्छेद उप + इन्द्रः है । 

    Important Points

    'उपेन्द्र' पद में गुण सन्धि है, जिसका विग्रह उप + इन्द्रः ही होगा।

    शब्द - उपेन्द्र

    विग्रह - उप + इन्द्रः

    सन्धि - गुण सन्धि

    सूत्र स्पष्टीकरण - 'आदगुणः' इस पाणिनीय सूत्र के अनुसार अ इस वर्ण के आगे कोईभी स्वर आया तो उन दोनो के स्थान पर एकही गुणसंज्ञा वाले स्वर का आदेश होगा।

    नियम - 

    • अ + इ = ए
    • अ + उ = ओ

    उदाहरण -

    • गज + इन्द्र = गजेन्द्रः
    • उप + इन्द्रः = उपेन्द्रः
    • ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश
    • महा + उत्सव = महोत्सव

    पद 'उपेन्द्रः' में उप के 'अ' के साथ 'इन्द्रः' के 'इ' का संधि होकर इनके स्थान पर 'ए' का आदेश होता है।

    अतः उपेन्द्रः पद का उचित संधि-विच्छेद 'उप + इन्द्रः' है।

  • Question 7/10
    5 / -1

    'तच्च' इत्यत्र का संधिः वर्तते?
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - 'तच्च' यहाँ कौन-सी संधि है?

    शब्द - सच्चित्

    संधिविच्छेद - सत्‌ + चित्‌

    सन्धि:- श्चुत्व सन्धि

    नियम:- ‘स्तोः श्चुना श्चुः’ इस सूत्र के अनुसार ‘स्’ या ‘तवर्ग’ से पूर्व या पश्चाद् ‘श्’ या ‘चवर्ग’ आये तो क्रमशः परिवर्तन हो जाता है-

    • ‘स्’ को ‘श्’
    • ‘त्’ को ‘च्’
    • ‘थ्’ को ‘छ्’
    • ‘द्’ को ‘ज्’
    • ‘ध्’ को ‘झ्’
    • ‘न्’ को ‘ञ्’

    उदाहरण:-

    • मनस् + चलति = मनश्चलति
    • तत् + चलचित्रम् = तच्चलचित्रम्
    • सद् + जनः = सज्जनः
    • तत् + च = तच्च

    यहाँ 'तत् + च' में सत् के त् से परे चित् का च् होने से त् को च् होकर तच्च रूप बनता है।

  • Question 8/10
    5 / -1

    नमस्ते पदस्य विग्रह भवति-
    Solutions

    प्रश्नार्थ - 'नमस्ते' पद का विग्रह होता है-

    शब्द - नमस्ते

    सन्धि विच्छेद -  नमः + ते

    सूत्र - विसर्जनीयस्य सः सूत्र से खर प्रत्याहार के वर्ण परे रहते विसर्ग को स् हो जाता है।

    उदाहरण - 

    नमः + ते = नमस्ते

    स्पष्टीकरण : नमस्ते का सन्धिविच्छेद नमः + ते होता है। जिससे स्पष्ट होता है कि नमः के पश्चात् आये विसर्ग में परिवर्तन हुआ है। जो विसर्ग सन्धि के लक्षण से युक्त है। अतः यहाँ विसर्गसन्धि होगी।

    Hint

    विशेष - 

    1. तल्लयः का विच्छेद होगा- तत्+लयः
    2. महौषधिः का विच्छेद होगा- महा+औषधिः
    3. सन्मित्रम् का विच्छेद होगा- सत्+मित्रम्

    अतः स्पष्ट है कि 'नमस्ते' विसर्ग सन्धि का उदाहरण है।

  • Question 9/10
    5 / -1

    'निश्चय' शब्दे संधिः वर्तते-

    Solutions

    प्रश्नानुवाद - 'निश्चय' शब्द में संधि है-

    शब्द - निश्चय

    सन्धि विच्छेद - निः + चय

    सूत्र - विसर्जनीयस्य सः

    सूत्र स्पष्टीकरण - जब 'खर्' वर्ण (वर्ग के पहले, दूसरे वर्ण और श, स, ष) आते हैं, तब विसर्ग का 'स' होता है।

    स्पष्टीकरण : 'निश्चय' का सन्धिविच्छेद 'निः + चय' होता है। जिससे स्पष्ट होता है कि 'निः' के पश्चात् आये विसर्ग का 'स' और बाद में 'श' मे परिवर्तन हुआ है। जो विसर्ग सन्धि के लक्षण से युक्त है। अतः यहाँ विसर्ग सन्धि होगी।

    Additional Information

    दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं।जैसे-

    • विद्या + आलय = विद्यालय।
    • रमा + ईश = रमेश
    • न + एकः = नैकः
    • सम्यक् + ज्ञानम् = सम्यग्ज्ञानम्

    संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग,

    संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    स्वर

    स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के 

    मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    विद्या + अर्थी = विद्यार्थी 

    महा + ईशः = महेशः

    व्यंजन

    एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या 

    स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    अहम् + कार = अहंकार

    उत् + लासः = उल्लास

    विसर्ग

    विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के 
    मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    दुः + आत्मा = दुरात्मा

    निः + कपटः = निष्कपटः

  • Question 10/10
    5 / -1

    'इष्टः' शब्दे संधिच्छेदः अस्ति-
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - 'इष्टः' शब्द का संधिच्छेद है-

    स्पष्टीकरण -

    • शब्द - इष्टः
    • सन्धिविच्छेदः - इष् + तः (ष्टुत्व सन्धि)

     

    सूत्र - ष्टुना ष्टुः।

    • नियम - जब स् या तवर्ग से पहले या बाद में ष् या वर्ग कोई भी हो तो स् को ष् और तवर्ग को टवर्ग हो जाता है।

    उदाहरण -

    • दुष्टः - दुष् + तः (यहाँ प्रथम पद के अन्त में एवं बाद में तः है। अतः यहाँ त वर्ग को ट वर्ग आदेश हो गया।
    • विष्णुः - विष् + नुः

     

    यही नियम इष्टः शब्द में लगा है। जहाँ प्रथम पद के अन्त में ष् एवं बाद में तः है। अतः यहाँ त वर्ग के स्थान पर ट वर्ग आदेश हो गया। इस प्रकार इष्टः शब्द का इष् + तः सन्धिविच्छेद होगा।

     

    अतः यहाँ इष् + तः सही उत्तर है।

    Additional Information

    मुख्यतः सन्धि के तीन प्रकार होते हैं -

    सन्धि के प्रकार

    नियम

    उदाहरण

    1. स्वर सन्धि

    स्वर सन्धि - दो स्वरों के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे स्वर सन्धि कहते हैं।

    आ + इ = ए

    उदाहरण - महा + आत्मा = महात्मा

    2. व्यञ्जन सन्धि

    व्यंजन सन्धि - दो व्यञ्जनों के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे व्यञ्जन सन्धि कहते हैं।

    द् + ज = ज्ज

    उदाहरण - सत् + चित् = सच्चित्

    3. विसर्ग सन्धि

    विसर्ग सन्धि - जब प्रथम पद के अन्त में विसर्ग (:) या स् हो, उत्तर पद में कोई स्वर या व्यञ्जन हो तो, वहाँ र, स या आदेश होता है, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं। विसर्ग + अ = र

    उदाहरण - शिशुः + आगच्छत् = शिशुरागच्छत्

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