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प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'छात्राः पठेयुः' यहाँ क्रिया का लकार है -
स्पष्टीकरण - 'छात्राः पठेयुः' वाक्य का अर्थ है 'छात्रों को पढ़ना चाहिए।'
Important Points
‘पठेयुः’ रूप ‘पठ्’ धातु से ‘विधिलिङ् लकार, प्रथमपुरुष, बहुवचन' में प्राप्त होता है।
‘पठ्’ धातु से विधिलिङ् लकार का रूप निम्नलिखित प्रकार से चलता है-
‘पठ्’ धातु विधिलिङ्ग लकार |
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमपुरुष | पठेत् | पठेताम् | पठेयुः |
मध्यमपुरुष | पठेः | पठेतम् | पठेत |
उत्तमपुरुष | पठेयम् | पठेव | पठेम |
Additional Information
लकार - संस्कृत में दस लकारों का वर्णन मिलता है -
लकारों के नाम तथा अर्थ -
i)- लट् लकार - 'वर्तमाने लट्' लट् लकार वर्तमान काल अर्थ में होता है। यथा - राम जाता है - रामः गच्छति।
ii)- लोट् लकार - 'आशिषि लिङ् लोटौ' लोट् लकार का प्रयोग विविध अर्थों में होता है -
- आज्ञा - तुम जाओ - त्वं गच्छ।
- प्रार्थना - आप आईये - भवान् आगच्छ।
- अनुमति - मै क्या करू - अहं किं करवाणि।
- आशीर्वाद - दीर्घायु हो - दीर्घायु भव।
iii)- लङ् लकार - 'अनद्यतने लङ्' अनद्यतन भूत काल अर्थ में लङ् लकार का प्रयोग होता है। उसने लिखा - सः अलिखत्।
iv)- विधिलिङ् लकार - 'विधिनिमन्त्रणामन्त्रणाधीष्टसंप्रश्नप्रार्थनेषु लिङ्' विधिलिङ्ग लकार का निम्न अर्थों में प्रयोग होता है -
- विधि - सत्य बोलना चाहिए - सत्यं ब्रूयात्।
- छात्राओं को पढ़ना चाहिए - छात्राः पठेयुः।
- निमन्त्रण - आप आज यहाँ भोजन करें - भवान् अद्य अत्र भक्षयेत्।
- आदेश - तुम पुस्तक पढ़ो - त्वं पुस्तकं पठे।
- प्रश्न - मुझे क्या पढ़ना चाहिए - अहं किम् पठेयम्।
- इच्छा अथवा प्रार्थना - तुम सुखी रहो - यूयं सुखी भवेत।
v)- लृट् लकार - 'लृट् शेषे च' सामान्य भविष्य काल के लिए लृट् लकार प्रयुक्त होता है। यथा - वह पढे़गा - सः पठिष्यति।
vi)- लुट् लकार - 'अनद्यतने लुट्' लुट् लकार का प्रयोग अनद्यतन भविष्य के लिए होता है। यथा - वह पढे़गा - सः पठिता।
vii)- लृङ्लकार - जहाँ एक क्रिया दूसरी क्रिया पर आश्रित होता है वहाँ हेतुमत् भूत काल अर्थात् लृङ् लकार होता है। यथा - यदि वह पढता तो विद्वान् हो जाता - यदि सः अपठिष्यत् तर्हि विद्वान् अभविष्यत्।
viii)- आशीर्लिङ् लकार - आशीर्वाद अर्थ में आशीर्लिङ् लकार का प्रयोग होता है। यथा - वह पढे़ - सः पठ्यात्।
ix)- लुङ् लकार - सामान्य भूत काल में लुङ् लकार का प्रयोग होता है। यथा - उसने पढ़ा - सः अपाठीत्।
x)- लिट् लकार - 'परोक्षेलिट्' लोट् लकार परोक्ष भूत काल अर्थ में होता है। यथा - उसने पढ़ा - सः पपाठ।
अतः स्पष्ट है कि 'छात्राः पठेयुः' यहाँ क्रिया का लकार विधिलिङ् लकार है।