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Sanskrit Domain Test - 2
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Sanskrit Domain Test - 2
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  • Question 1/10
    5 / -1

    'सर्वे बालकाः जलं पिबन्ति।' रेखांकितं पदमस्ति-
    Solutions

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'सर्वे बालकाः जलं पिबन्ति' रेखाङ्कित पद है -

    स्पष्टीकरण -

    वाक्य - 'सर्वे बालकाः जलं पिबन्ति।' अर्थात् सभी बालक जल पीते हैं

    • यह वाक्य लट्लकार में है तथा कर्तृवाच्य वाक्य है।
    • इस वाक्य में कर्ता 'सर्वे बालकाः' है, जो पुल्लिङ्ग प्रथम पुरुष बहुवचन में है।
    • कर्तृवाच्य में क्रियापद कर्ता के अनुसार होता है।
    • इस तरह पिबन्ति पद लट्लकार के प्रथमपुरुष-बहुवचन का रूप है।

     

    अतः स्पष्ट है कि वाक्य में 'पिबन्ति' पद कर्ता के अनुसार 'प्रथम पुरुष-बहुवचन' में बनता है।

    Additional Information

    पिब् (पीना) धातु का लट्लकार में प्रयोग निम्नलिखित है-

    पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
    प्रथमपुरुषपिबतिपिबतःपिबन्ति
    मध्यमपुरुषपिबसिपिबथःपिबथ
    उत्तमपुरुषपिबामिपिबावःपिबामः
  • Question 2/10
    5 / -1

    'सेव्‌' धातोः लृट्‌ लकारस्य उत्तमपुरुष बहुवचने रूपं वर्तते-

    Solutions

    प्रश्नानुवाद - 'सेव्‌' धातु का लृट्‌ लकार के उत्तमपुरुष-बहुवचन में रूप है-

    स्पष्टीकरणसेव्‌' धातु के लृट्‌ लकार के उत्तमपुरुष-बहुवचन में सेविष्यामहे रूप बनता है

    'सेव्‌' धातु, 'लृट्‌ लकार' के विविध पुरुषों और वचनों के रूप निम्नलिखित प्रकार से चलता है-

    'सेव्‌' धातु, 'लृट्‌ लकार में' 

    पुरुष

    एकवचन

    द्विवचन

    बहुवचन

    प्रथमपुरुष

    सेविष्यते

    सेविष्येते 

    सेविष्यन्ते

    मध्यमपुरुष

    सेविष्यसे

    सेविष्येथे

    सेविष्यध्वे

    उत्तमपुरुष

    सेविष्ये

    सेविष्यावहे

    सेविष्यामहे


    अतः स्पष्ट है कि 'सेव्‌' धातु, 'लृट्‌ लकार' से उत्तमपुरुष बहुवचन में 'सेविष्यामहे' बनता है।

  • Question 3/10
    5 / -1

    'अपश्यः' कस्य धातोः रूपमस्ति?
    Solutions

    प्रश्न अनुवाद - 'अपश्यः' किस धातु का रूप है?
    स्पष्टीकरण -

    • दृश् (पश्य) धातु संस्कृत में 'देखना' अर्थ में प्रयोग होता है।
    • दृश् (पश्य) धातु भ्वादिगण तथा परस्मैपदी धातु है।
    • दृश् (पश्य) धातु लङ्लकार मध्यम पुरुष एकवचन में 'अपश्यः' रूप बनता है। 

     

    अतः इस प्रकार 'अपश्यः' रूप दृश् (पश्य) धातु लङ्लकार मध्यमपुरुष एकवचन में बनता है। 

    Key Points

    दृश् (पश्य) (देखना) धातुरूप का लङ्लकार में प्रयोग निम्नलिखित है-

    पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
    प्रथम पुरुषअपश्यत्अपश्यताम्अपश्यन्
    मध्यम पुरुषअपश्यःअपश्यतम्अपश्यत
    उत्तम पुरुषअपश्यम्अपश्यावअपश्याम
  • Question 4/10
    5 / -1

    'अस्' धातोः लङ्लकारस्य उत्तमपुरुषबहुवचने रूपं भवति-
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - 'अस्' धातु का लङ्लकार का उत्तमपुरुष-बहुवचन में रूप होता है-

    स्पष्टीकरण -

    • अस् धातु का उपयोग - है/होना अर्थ में होता है।
    • अस्' धातु का लङ्लकार उत्तमपुरुष-बहुवचन में आस्म रूप बनता है।

     

    अतः यहाँ आस्म सही उत्तर है।

    Additional Information

    अस् धातु का लङ्लकार में प्रयोग निम्नलिखित है-

     

    एकवचन

    द्विवचन

    बहुवचन

    प्रथम पुरुष

    आसीत्

    आस्ताम्

    आसन्

    मध्यम पुरुष

    आसीः

    आस्तम्

    आस्त

    उत्तम पुरुष

    आसम्

    आस्व

    आस्म

  • Question 5/10
    5 / -1

    'भवानि' इत्यत्र कः लकारः?
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - 'भवानि' यहाँ कौन-सा लकार है?

    स्पष्टीकरण -

    • ‘भवानि’ भू धातु का रूप है। इसमें लोट्लकार है। 
    • भवानि धातुरूप लोट्लकार के उत्तमपुरुष-एकवचन में बनता है। ‘भू’ का अर्थ होता है - ‘होना’ 

    Additional Information

    भू (होना) धातुरूप का लोट्लकार के विविध पुरुषों और तीनो वचनों में रूप निम्नलिखित है-

    पुरुष

    एकवचन

    द्विवचन

    बहुवचन

    प्रथम पुरुष

    भवतु

    भवताम्

    भवन्तु

    मध्यम  पुरुष

    भव

    भवतम्

    भवत

    उत्तम  पुरुष

    भवानि

    भवाव

    भवाम

     

    इस तरह स्पष्ट है कि यहाँ लोट्लकार सही विकल्प है।

    अन्य विकल्प -

    • लङ्लकार के उत्तमपुरुष-एकवचन में - अभवम्
    • विधिलिङ्लकार के उत्तमपुरुष-एकवचन में - भवेयम्
    • लट्लकार के उत्तमपुरुष-एकवचन में - भवामि (इस तरह तीनों लकारों में भिन्न-भिन्न रूप बनते हैं।)
  • Question 6/10
    5 / -1

    'छात्राः पठेयुः' इत्यत्र क्रियायाः लकारः अस्ति -​
    Solutions

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'छात्राः पठेयुः' यहाँ क्रिया का लकार है -

    स्पष्टीकरण - 'छात्राः पठेयुः' वाक्य का अर्थ है 'छात्रों को पढ़ना चाहिए।'

    Important Points

    पठेयुः’ रूप ‘पठ्’ धातु से ‘विधिलिङ् लकारप्रथमपुरुष, बहुवचन' में प्राप्त होता है।

    ‘पठ्’ धातु से विधिलिङ् लकार का रूप निम्नलिखित प्रकार से चलता है-

     ‘पठ्’ धातु विधिलिङ्ग लकार

    पुरुष

    एकवचन

    द्विवचन

    बहुवचन

    प्रथमपुरुष

    पठेत्

    पठेताम्

    पठेयुः 

    मध्यमपुरुष

    पठेः

    पठेतम्

    पठेत

    उत्तमपुरुष

    पठेयम्

    पठेव

    पठेम

    Additional Information

    लकार - संस्कृत में दस लकारों का वर्णन मिलता है -

    लकारों के नाम तथा अर्थ - 

    i)- लट् लकार - 'वर्तमाने लट्' लट् लकार वर्तमान काल अर्थ में होता है। यथा - राम जाता है - रामः गच्छति

    ii)- लोट् लकार - 'आशिषि लिङ् लोटौ' लोट् लकार का प्रयोग विविध अर्थों में होता है - 

    • आज्ञा - तुम जाओ - त्वं गच्छ
    • प्रार्थना - आप आईये - भवान् आगच्छ
    • अनुमति - मै क्या करू - अहं किं करवाणि
    • आशीर्वाद - दीर्घायु हो - दीर्घायु भव

    iii)- लङ् लकार - 'अनद्यतने लङ्' अनद्यतन भूत काल अर्थ में लङ् लकार का प्रयोग होता है। उसने लिखा - सः अलिखत्

    iv)- विधिलिङ् लकार - 'विधिनिमन्त्रणामन्त्रणाधीष्टसंप्रश्नप्रार्थनेषु लिङ्' विधिलिङ्ग लकार का निम्न अर्थों में प्रयोग होता है - 

    • विधि - सत्य बोलना चाहिए - सत्यं ब्रूयात्। 
      • छात्राओं को पढ़ना चाहिए - छात्राः पठेयुः
    • निमन्त्रण - आप आज यहाँ भोजन करें - भवान् अद्य अत्र भक्षयेत्
    • आदेश - तुम पुस्तक पढ़ो - त्वं पुस्तकं पठे
    • प्रश्न - मुझे क्या पढ़ना चाहिए - अहं किम् पठेयम्
    • इच्छा अथवा प्रार्थना - तुम सुखी रहो - यूयं सुखी भवेत

    v)- लृट् लकार - 'लृट् शेषे च' सामान्य भविष्य काल के लिए लृट् लकार प्रयुक्त होता है। यथा - वह पढे़गा - सः पठिष्यति

    vi)- लुट् लकार - 'अनद्यतने लुट्' लुट् लकार का प्रयोग अनद्यतन भविष्य के लिए होता है। यथा - वह पढे़गा - सः पठिता

    vii)- लृङ्लकार - जहाँ एक क्रिया दूसरी क्रिया पर आश्रित होता है वहाँ हेतुमत् भूत काल अर्थात् लृङ् लकार होता है। यथा - यदि वह पढता तो विद्वान् हो जाता - यदि सः पठिष्यत् तर्हि विद्वान् अभविष्यत्

    viii)- आशीर्लिङ् लकार - आशीर्वाद अर्थ में आशीर्लिङ् लकार का प्रयोग होता है। यथा - वह पढे़ - सः पठ्यात्

    ix)- लुङ् लकार - सामान्य भूत काल में लुङ् लकार का प्रयोग होता है। यथा - उसने पढ़ा - सः अपाठीत्

    x)- लिट् लकार - 'परोक्षेलिट्' लोट् लकार परोक्ष भूत  काल अर्थ में होता है। यथा - उसने पढ़ा - सः पपाठ

    अतः स्पष्ट है कि 'छात्राः पठेयुः' यहाँ क्रिया का लकार विधिलिङ् लकार है

  • Question 7/10
    5 / -1

    "ददाति दत्तः ________" अत्र रिक्तस्थाने किं रूपं साधु भवति?
    Solutions

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - "ददाति दत्तः ________" यहाँ रिक्तस्थान में क्या रूप सही होता है?

    स्पष्टीकरण - 

    • ददाति और दत्तः में दा धातु से ‘लट् लकार, में प्रथमपुरुष के एकवचन और द्विवचन’ का रूप है। जिसके आगे बहुवचन का रूप आता है।
    • बहुवचन में ददति रूप बनता है। इस तरह उचित क्रम है - ददाति दत्तः ददति

    Important Points

    दा’ (देना) धातु का ‘लट् लकार’ के विविध वचनों और पुरूषों में प्राप्त रूप इस प्रकार है-

    दा’ धातु से ‘लट् लकार’ 

    पुरूष

    एकवचन

    द्विवचन

    बहुवचन

    प्रथमपुरूष

    ददाति

    दत्तः

    ददति

    मध्यमपुरूष

    ददासि

    दत्थः

    दत्थ

    उत्तमपुरूष

    ददामि

    दद्वः

    दद्मः

     

    अतः स्पष्ट है कि दा धातु से ‘लट् लकार, में प्रथमपुरुष के बहुवचन में 'ददति' रूप बनता है। अतः रिक्त स्थान में 'ददति' रूप सही होगा।

    Confusion Points'दा' धातु जुहोत्यादि गण का है। जिसमें 'भृञामित्' इस सूत्र से 'अन्ति' के स्थान पर 'अति' होता है।  

  • Question 8/10
    5 / -1

    'पठ्' धातोः लङ्‌ लकारस्य उत्तमपुरुषैकवचने रूपम्‌ अस्ति-

    Solutions

    प्रश्नानुवाद'पठ्' धातु का लङ्‌ लकार के उत्तमपुरुष एकवचन में रूप होता है-

    स्पष्टीकरण -

    • पठ् (पढ़ना) धातु का लङ्‌ लकार के उत्तमपुरुष-एकवचन में अपठम् रूप बनता है।

    Additional Information

    'पठ्' धातु का ‘लङ् लकार’ के विविध वचनों और पुरूषों में प्राप्त रूप इस प्रकार है-

    पुरूष

    एकवचन

    द्विवचन

    बहुवचन

    प्रथमपुरूष

    अपठत्

    अपठताम् 

    अपठन्

    मध्यमपुरूष

    अपठः

    अपठतम्  

    अपठत

    उत्तमपुरूष

    अपठम्

    अपठाव

    अपठाम

     

    अतः स्पष्ट है कि पठ् धातु ‘लङ् लकार, उत्तम पुरूष, एकवचन’ में ‘अपठम्’ रूप बनता है।

  • Question 9/10
    5 / -1

    'मनुते' इत्यत्र क्रियापदे कः धातुः?
    Solutions

    प्रश्न का अनुवाद - 'मनुते' इस क्रियापद में कौन सा धातु है?

    स्पष्टीकरण -  'मनुते' इस क्रियापद में मन् धातु है।

    Important Points

    मनुते - 

    • इसमें √ मन् धातु है। 
    • यह तनादि-गण की धातु है।
    • धातु-पाठः - ८ 
    • पदम् - आत्मने पदम्।
    • अर्थ - मनुँ अवबोधने → अवबोध अर्थात् समझ।

    मन् आत्मनेपदी धातु का प्रयोग लट्लकार में निम्नलिखित है- 

    पुरुषः एकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
    ​प्रथम पुरुषः मनुतेमन्वातेमन्वते
    मध्यम पुरुषःमनुषेमन्वाथेमनुध्वे
    उत्तम पुरुषःमन्वेमन्वहे / मनुवहेमन्महे / मनुमहे


    अतः स्पष्ट है  'मनुते' इस क्रियापद में मन् धातु है।

  • Question 10/10
    5 / -1

    'कृ' धातोः लट्लकारस्य मध्यमपुरुषैकवचने रूपं भवति-
    Solutions

    प्रश्नानुवाद'कृ' धातु का लट्लकार के मध्यमपुरुष-एकवचन में रूप होता है-

    स्पष्टीकरण -

    कृ धातु के लट्लकार के मध्यमपुरुष-एकवचन में करोषि रूप बनता है।

    Additional Information

    'कृ' (करना) धातुरूप का लट्लकार में प्रयोग निम्नलिखित है -

    पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
    प्रथमपुरुषकरोतिकुरुतःकुर्वन्ति
    मध्यमपुरुषकरोषिकुरुथःकुरुथ
    उत्तमपुरुषकरोमिकुर्वःकुर्मः

     

    इस तरह स्पष्ट है कि कृ धातु का लट्लकार मध्यमपुरुष-एकवचन में करोषि रूप बनता है।

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