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CTET 2023 Hindi Test - 4
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CTET 2023 Hindi Test - 4
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    Directions For Questions

    निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है।

    कृष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है। सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है।

    कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    गद्यांश के अनुसार, सूरदास की कौन सी एक रचना अमर काव्य है?

    Solutions

    सूर सागर, सूरदास द्वारा रचित अमर काव्य है।

  • Question 2/10
    1 / -0

    Directions For Questions

    निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है।

    कृष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है। सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है।

    कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    गद्यांश के अनुसार, राधिका को पहली बार देख कर कृष्ण को क्या अनुभूति होती है?

    Solutions

    राधिका को पहली बार देख कर कृष्ण मोहित हो जाते हैं।

  • Question 3/10
    1 / -0

    Directions For Questions

    निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है। कृष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है।

    कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है। सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है।

    अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है। कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘अनुपम’ का अर्थ है-

    Solutions

    गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘अनुपम’ का अर्थ है- ‘अतुलनीय’।

  • Question 4/10
    1 / -0

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    निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है।

    कृष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है।

    सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है। कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    सूरदास के पदों की क्या विशेषता है?

    Solutions

    सूरदास के समस्त पद गेय हैं एवं संगीतात्मक हैं। इसलिए विकल्प d सही उत्तर है।

  • Question 5/10
    1 / -0

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    निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है।

    कृष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है।

    सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है। कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    गद्यांश के अनुसार, सूरदास के काव्य में किसके द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है?

    Solutions

    सूरदास के काव्य में कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है।

  • Question 6/10
    1 / -0

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    निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है।

    कृष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है। सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है।

    कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    गद्यांश के अनुसार, प्रथम बार राधा द्वारा कृष्ण को उत्तर देने का वर्णन सूरदास ने किस रस में किया है?

    Solutions

    गद्यांश के अनुसार, प्रथम बार राधा द्वारा कृष्ण को उत्तर देने का वर्णन संयोग श्रृंगार रस में है।

  • Question 7/10
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    निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है।

    कृष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है।

    सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है। कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘संगीत’ का संधि विच्छेद है?

    Solutions

    संगीत’ का संधि विच्छेद ‘सम् + गीत’ है।

  • Question 8/10
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    निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है।

    कृष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है। सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है।

    कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    गद्यांश में प्रयुक्त शब्दों में से किस शब्द की वर्तनी, किसी एक विकल्प में गलत है?

    Solutions

    शब्द की शुद्ध वर्तनी है- ‘यथेष्ट’।

  • Question 9/10
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    निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है।

    ष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है। सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है।

    कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘लालित्य’ का क्या अर्थ है?

    Solutions

    ‘लालित्य’ का अर्थ ‘रमणीयता’ है।

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    महाकवि सूरदास के जन्म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्पर भेद है। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकारते हैं। सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के शिरोमणि कवि हैं।

    आपने श्रीकृष्ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी हिन्दी साहित्य की अनुपम और अत्यन्त विशिष्ट काव्य कृतियाँ हैं। आपकी अमर काव्य रचना सूर सागर है। सूरसागर हिन्दी साहित्य का अत्यन्त उच्चकोटि का काव्य ग्रन्थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों का हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है।

    कृष्ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदासजी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े हो जाते हैं, तब वे किसी ग्वालिनी के घर में मक्खन की चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिए जाते हैं, तब उस ग्वालिन के द्वारा इसका कारण पूछने पर कितनी, चतुराई से इसका उत्तर देते हैं, यह प्रसंग मन को बहुत ही छू लेता है। कृष्ण जब कुछ और बड़े होते हैं तब राधिका को पहली बार देखकर कैसे मोहित हो जाते हैं और उससे प्रश्न पूछने पर वह किस प्रकार से कृष्ण को उत्तर देती हैं, इसका भी वर्णन कवि सूरदास ने संयोग श्रृंगार के द्वारा बड़े ही स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है।

    सूरदास के काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, अद्भुत करूण, शान्त, हास्य, वात्सल्य आदि रसों का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष, समासोक्ति, विभावना आदि अलंकारों का सुन्दर चित्रण है। कवित्त छन्दों के द्वारा पदों की लालित्य छटा देखते ही बनती है। मानव जीवन की विविध अनुभूतिपूर्ण पक्षों को कवि सूर ने बहुत ही आकर्षक रूप से उकेरा है। सूरदास विरचित समस्त पद गेय पद हैं और संगीतात्मक भी। इससे पता चलता है कि कवि सूर को संगीत शास्त्र का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त था।

    इसी तरह सूरदास की सभी रचनाओं में काव्य शास्त्र के विविध रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। कविवर गोस्वामी तुलसीदास ने जहाँ मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्ण की विविध हदयस्पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया।

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    गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘चतुराई’ में कौन सा प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है?

    Solutions

    ‘चतुराई’ में आई प्रत्यय है।

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